जा रहे हैं लंबी यात्रा पर तो रखें इन 5 बातों का ध्यान, वर्ना होगा नुकसान...

www.panditinindia.com

गुरु अरविन्द जी

चमत्कारी टोने  टोटके

दोस्तों हमारे यूट्यूब चैनल गुरु अरविन्द जी को लाइक शेयर सब्सक्राइब करे जो हम आपके लिए और नयी नयी वीडियो ला सके।  किसी भी उपाए को करने से पहले गुरु जी से अवश्य पूरी जानकरी लेने के बाद करे। 

दोस्तों आप किसी भी राशि का राशिफल देखना चाहते है तो आप हमारे यूट्यूब चैनल गुरु अरविन्द जी को लाइक शेयर सब्सक्राइब करे आप हमारे यूट्यूब चैनल मैं किसी भी राशि का राशिफल देख सकते है और बहुत से सरल उपाए बताये गए है जिनको आप अपने जीवन मैं करके अपने जीवन के दुःख दूर कर सकते है।

हम आशा करते है हमारा  उपाए  आपके  लिए जरूर फायदेमंद होगा।



Astro Tips यदि जा रहे हैं लंबी यात्रा पर तो रखें इन 5 बातों का ध्यान, वर्ना होगा नुकसान



शुभ समय, शुभ नक्षत्र, शुभ दिन और शुभ दिशा से यात्रा का प्रारंभ करने से यात्रा में किसी भी प्रकार का व्यवधान उत्पन्न नहीं होता और व्यक्ति अपनी यात्रा पूर्ण करके सकुशल घर वापस आ जाता है। अत: यदि आप तीर्थ यात्रा या किसी अन्य पर्यटन यात्रा के लिए जा रहे हैं या घुमने फिरने के लिए जा रहे हैं तो यहां बातों का ध्यान अवश्य रखें।



1.दिशाशूल : शनिवार और सोमवार को पूर्व दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए, गुरुवार को दक्षिण दिशा की यात्रा नहीं करना चाहिए। रविवार और शुक्रवार को पश्चिम की यात्रा नहीं करनी चाहिए, बुधवार और मंगलवार को उत्तर की यात्रा नहीं करनी चाहिए, इन दिनों में और उपरोक्त दिशाओं में यात्रा करने से दिकशूल माना जाता है। यात्रा करना ही हो तो रविवार को पान या घी खाकर, सोमवार को दर्पण देखकर या दूध पीकर, मंगल को गुड़, खाकर, बुधवार को धनिया या तिल खाकर, गुरुवार को जीरा या दही खाकर, शुक्रवार को दही पीकर और शनिवार को अदरक या उड़द खाकर प्रस्थान किया जा सकता है।



2. नक्षत्र त्याग : आर्द्रा, भरणी, कृतिका, मघा, उत्तरा विशाखा और आश्लेषा ये नक्षत्र त्याज्य है। षष्ठी, द्वादशी, रिक्ता तथा पर्व तिथियां भी त्याज्य है। अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, हस्त, मृगशिरा, अश्विनी, पुनर्वसु, पुष्य और रेवती ये नक्षत्र यात्रा के लिए शुभ है और मिथुन, कन्या, मकर, तुला ये लगन शुभ है। सभी दिनों में हस्त, रेवती, अश्विनी, श्रवण और मृगशिरा ये नक्षत्र सभी दिशाओं की यात्रा के लिए शुभ बताए गए है।



3.तिथि योग : यात्रा के लिए प्रतिपदा श्रेष्ठ तिथि मानी जाती है, द्वितीया कार्यसिद्धि के लिए, तृतीया आरोग्यदायक, चतुर्थी कलह प्रिय, पंचमी कल्याणप्रदा, षष्ठी कलहकारिणी, सप्तमी भक्षयपान सहित, अष्टमी व्याधि दायक, नवमी मौत दायक, दसमी भूमि लाभ प्रद, एकादशी स्वर्ण लाभ करवाने वाली, द्वादशी प्राण नाशक और त्रयोदशी सर्वसिद्धि दायक होती है। पूर्णिमा एवं अमावस्या को यात्रा नहीं करनी चाहिए, तिथि क्षय मासान्त तथा ग्रहण के बाद के तीन दिन यात्रा नुकसान दायक मानी गयी है।



4.राहु काल : राहु काल में यात्रा प्रारंभ ना करें। रविवार को शाम 4.30 से 6.00 बजे तक राहुकाल होता है। सोमवार को दिन का दूसरा भाग यानी सुबह 7.30 से 9 बजे तक राहुकाल होता है। मंगलवार को दोपहर 3.00 से 4.30 बजे तक राहुकाल होता है। बुधवार को दोपहर 12.00 से 1.30 बजे तक राहुकाल माना गया है। गुरुवार को दोपहर 1.30 से 3.00 बजे तक का समय यानी दिन का छठा भाग राहुकाल होता है। शुक्रवार को दिन का चौथा भाग राहुकाल होता है यानी सुबह 10.30 बजे से 12 बजे तक का समय राहुकाल है। शनिवार को सुबह 9 बजे से 10.30 बजे तक के समय को राहुकाल माना गया है।

यदि राहुकाल के समय यात्रा करना जरूरी हो तो पान, दही या कुछ मीठा खाकर निकलें। घर से निकलने के पूर्व पहले 10 कदम उल्टे चलें और फिर यात्रा पर निकल जाएं। दूसरा यदि कोई मंगलकार्य या शुभकार्य करना हो तो हनुमान चालीसा पढ़ने के बाद पंचामृत पीएं और फिर कोई कार्य करें।

दिन और रात को बराबर आठ भागों में बांटने के बाद आधा आधा प्रहर के अनुपात से विलोम क्रमानुसार राहु पूर्व से आरम्भ कर चारों दिशाओं में भ्रमण करता है। अर्थात पहले आधे प्रहर पूर्व में दूसरे में वाव्य कोण में तीसरे में दक्षिण में चौथे में ईशान कोण में पांचवें में पश्चिम में छठे में अग्निकोण में सातवें में उत्तर में तथा आठवें में अर्ध प्रहर में नैऋत्य कोण में रहता है। रविवार को नैऋत्य कोण में सोमवार को उत्तर दिशा में, मंगलवार को आग्नेय कोण में, बुधवार को पश्चिम दिशा में, गुरुवार को ईशान कोण में, शुक्रवार को दक्षिण दिशा में, शनिवार को वायव्य कोण में राहु का निवास माना जाता है। राहु दाहिनी दिशा में होता है तो विजय मिलती है, योगिनी बायीं तरह सिद्धि दायक होती है, राहु और योगिनी दोनों पीछे रहने पर शुभ माने गए हैं, चन्द्रमा सामने शुभ माना गया है।



5. अन्य विचार : प्रतिपदा और नवमी तिथि को योगिनी पूर्व दिशा में रहती है, तृतीया और एकादशी को अग्नि कोण में त्रयोदशी को और पंचमी को दक्षिण दिशा में चतुर्दशी और षष्ठी को पश्चिम दिशा में पूर्णिमा और सप्तमी को वायु कोण में द्वादशी और चतुर्थी को नैऋत्य कोण में, दसमी और द्वितीया को उत्तर दिशा में अष्टमी और अमावस्या को ईशानकोण में योगिनी का वास रहता है, वाम भाग में योगिनी सुखदायक, पीठ पीछे वांछित सिद्धि दायक, दाहिनी ओर धन नाशक और सम्मुख मौत देने वाली होती है।



Please Like Share Subscribe

Website

http://www.expertpandit.com/

http://www.panditinindia.com/

https://twitter.com/GuruWolrd

https://www.facebook.com/Guru-Arvind-...

https://onlinelovebackguru.blogspot.com/

https://in.pinterest.com/guruarvind/_...

https://www.tumblr.com/blog/myguruarv...

https://www.linkedin.com/in/guru-arvi...

    Guru Arvind Ji

Chamatkari Tone Totke

        Follow Us

Youtube, Facebook, Twitter, Blogger, Linkedin, Tumblr

Call Now Direct  9872816593

Whats Up         9872816593

Our Service

Indian Astrologer

Indian Astrology

Famous Astrologer India

Online Astrologer India

Tv Astrologer India

Bollywood Astrologer

Best Astrologer India

Gemstones

Lucky Stones

Gemstones Astrology

Gemstones Specialist

Love Astrologer India

Love Astrology India

Love Horoscope

Love Back Guru

Horoscope Matching

Kundli Astrologer

Kundli Matching

Kundli Milan

Kundli Match For Marriage

Kundli Specialist

Vastu Specialist

Vastu Astrologer

Vastu Astrology

Vastu Expert

Vastu For Home

Vastu For Business

Vastu For New Office

Vastu For Health

Vastu For Money

Husband Wife Problem

Family Problem Solution


Comments

Popular posts from this blog

पति-पत्नी के बीच होते हैं ज्यादा झगड़े, तो ये ज्योतिष उपाय होंगे असरदार।

व्यापार की उन्नति और बरकत के लिए आज ही करें ये आसान उपाय।

पुत्र प्राप्ति हेतु क्या करें, पुत्र कि कामना हो तो ये प्रयोग करें यह ज्योतिष उपाय।