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गुरु अरविन्द जी
चमत्कारी टोने टोटके
दोस्तों हमारे यूट्यूब चैनल गुरु अरविन्द जी को लाइक शेयर सब्सक्राइब करे जो हम आपके लिए और नयी नयी वीडियो ला सके।
किसी भी उपाए को करने से पहले गुरु जी से अवश्य पूरी जानकरी लेने के बाद करे।
हमआशा करते है हमारा उपाए आपके लिए जरूर फायदेमंद होगा।
सुखी रहना है तो इन 4 रंगों को अपने जीवन में शामिल करें। गुरु अरविन्द जी
चमत्कारी टोने टोटके
रंगों का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। वैज्ञानिकों के अनुसार रंग तो मूलत: पांच ही होते हैं- कला, सफेद, लाल, नीला और पीला। काले और सफेद को रंग मानना हमारी मजबूरी है जबकि यह कोई रंग नहीं है। इस तरह तीन ही प्रमुख रंग बच जाते हैं- लाल, पीला और नीला। आपने आग जलते हुए देखी होगी- उसमें यह तीन ही रंग दिखाई देते हैं।
जब कोई रंग बहुत फेड हो जाता है तो वह सफेद हो जाता है और जब कोई रंग बहुत डार्क हो जाता है तो वह काला पड़ जाता है। लाल रंग में अगर पीला मिला दिया जाए, तो वह केसरिया रंग बनता है। नीले में पीला मिल जाए, तब हरा रंग बन जाता है। इसी तरह से नीला और लाल मिलकर जामुनी बन जाते हैं। आगे चलकर इन्हीं प्रमुख रंगों से हजारों रंगों की उत्पत्ति हुई। हिन्दू धर्म में केसरिया, पीला, गेरुआ, भगवा और लाल रंग को सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता है। गेरू और भगवा रंग एक ही है, लेकिन केसरिया में मामूली-सा अंतर है।
1. पीला रंग : पीले रंग के वस्त्रों को पितांबर कहते हैं। इसके अंतर्गत आप नारंगी और केसरी रंग को भी शामिल कर सकते हैं। इससे गुरु का बल बढ़ता है। गुरु हमारे भाग्य को जगाने वाला गृह है। किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य में पीले रंग का इस्तेमाल किया जाता है। पूजा-पाठ में पीला रंग शुभ माना जाता है। केसरिया या पीला रंग सूर्यदेव, मंगल और बृहस्पति जैसे ग्रहों का भी प्रतिनिधित्व करता है। यह रोशनी को भी दर्शाता है। इस तरह पीला रंग बहुत कुछ कहता है।
वैज्ञानिकों के अनुसार पीला रंग के उपयोग से हमारे रक्त में लाल और श्वेत कणिकाओं का विकास होता है।
2. लाल रंग : लाल रंग के अंतर्गत केसरिया या भगवा का उपयोग भी कर सकते हैं। इसी में शामिल है अग्नि का रंग भी। शरीर में रक्त महत्वपूर्ण होता है। हिन्दू धर्म में विवाहित महिला लाल रंग की साड़ी और हरी चूड़ियां पहनती है। इसके अलावा विवाह के समय दूल्हा भी लाल या केसरी रंग की पगड़ी ही धारण करता है, जो उसके आने वाले जीवन की खुशहाली से जुड़ी है। लाल रंग उत्साह, सौभाग्य, उमंग, साहस और नवजीवन का प्रतीक है।
प्रकृति में लाल रंग या उसके ही रंग समूह के फूल अधिक पाए जाते हैं। मां लक्ष्मी को लाल रंग प्रिय है। मां लक्ष्मी लाल वस्त्र पहनती हैं और लाल रंग के कमल पर शोभायमान रहती हैं।
घर की दीवारों का रंग लाल नहीं होना चाहिए।
3. सफेद रंग : शुभ्र या सफेद आत्मा का रंग है जिसमें हल्का सा निलापन भी है। भारतीय योगियों का मत है कि आत्मा का रंग शुभ्र यानी पूर्ण सफेद होता है जबकि पाश्चात्य योगियों के अनुसार आत्मा बैंगनी रंग की होती है। कुछ ज्ञानीजन मानते हैं कि नीला रंग आज्ञा चक्र का एवं आत्मा का रंग है। नीले रंग के प्रकाश के रूप में आत्मा ही दिखाई पड़ती है और पीले रंग का प्रकाश आत्मा की उपस्थिति को सूचित करता है।
सफेद रंग माता सरस्वती का है। इसे राहु शांत रहता है। घर में सफेद रंग के उपयोग के भी कुछ वास्तु नियम जरूर समझ लेना चाहिए। प्राचीन काल में जब यज्ञ किया जाता था तो सफेद रंग का उपयोग ही किया जाता था। सफेद रंग से मन में शांति और सुख का आभास होता है। सफेद रंग से शुद्धता और पवित्रता का आभास भी होता है। पश्चिमी देशों में शादी के समय दुल्हन सफेद रंग का गाउन पहनती है जबकि भारती जैसे देश में जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है सभी सफेद रंग पहन के जाते हैं। जबकि इसके विपरित पश्चिम में किसी की मृत्यु पर लोग काला रंग पहनते हैं।
सफेद रंग को सब्जियों या फलों के माध्यम से अपनी डाइट में शामिल करने से कैंसर और ट्यूमर होने का खतरा कम होता है।
4. नीला रंग : संपूर्ण जगत में नीले रंग की अधिकता है। धरती पर 75 प्रतिशत फैले जल के कारण नीले रंग का प्रकाश ही फैला हुआ है तभी तो हमें आसमान नीला दिखाई देता है। जब व्यक्त ध्यान करने लगता है तो अंधेरे में कहीं नीला और फिर कहीं पीला रंग दिखाई देने लगता है। यदी आप गुलाबी रंग देखेंतो तो आपको उसमें लाल, सफेद और नीला रंग दिखाई देगा।
नीला रंग अध्यात्म और भाग्य से संबंध रखता है। इसके भी सोच समझ कर ही उपयोग करना चाहिए। खालिस नीला रंग उपयोग ना करें। नीले के साथ पीला, सफेद और हल्के लाल रंग का उपयोग कर सकते हैं किसी ज्योतिष से पूछकर। नीले रंग का सही समय पर और सही तरीके से उपयोग करेंगे तो यह जीवन में सफलता देगा।
एंथोसायनिन से भरपूर नीले या बैंगनी रंग कि फल और सब्जियां आपकी त्वचा को स्वस्थ और जवान बनाए रखने में मदद करता है। यह हृदय रोगों के लिए भी फायदेमंद होता है और कैंसर की संभावना का कम करने में सहायक है। इसके लिए आप जामुन, काले अंगूर, आलू बुखारा, ब्लैकबेरी, ब्लूबेरी, बैंगन और इस रंग की अन्य पत्तेदार सब्जियों को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। वैसे हमारी सलाह है कि नीले या बैंकनी रंग की सब्जियां सोच-समझकर ही खाएं।
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सुखी रहना है तो इन 4 रंगों को अपने जीवन में शामिल करें। गुरु अरविन्द जी
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रंगों का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। वैज्ञानिकों के अनुसार रंग तो मूलत: पांच ही होते हैं- कला, सफेद, लाल, नीला और पीला। काले और सफेद को रंग मानना हमारी मजबूरी है जबकि यह कोई रंग नहीं है। इस तरह तीन ही प्रमुख रंग बच जाते हैं- लाल, पीला और नीला। आपने आग जलते हुए देखी होगी- उसमें यह तीन ही रंग दिखाई देते हैं।
जब कोई रंग बहुत फेड हो जाता है तो वह सफेद हो जाता है और जब कोई रंग बहुत डार्क हो जाता है तो वह काला पड़ जाता है। लाल रंग में अगर पीला मिला दिया जाए, तो वह केसरिया रंग बनता है। नीले में पीला मिल जाए, तब हरा रंग बन जाता है। इसी तरह से नीला और लाल मिलकर जामुनी बन जाते हैं। आगे चलकर इन्हीं प्रमुख रंगों से हजारों रंगों की उत्पत्ति हुई। हिन्दू धर्म में केसरिया, पीला, गेरुआ, भगवा और लाल रंग को सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता है। गेरू और भगवा रंग एक ही है, लेकिन केसरिया में मामूली-सा अंतर है।
1. पीला रंग : पीले रंग के वस्त्रों को पितांबर कहते हैं। इसके अंतर्गत आप नारंगी और केसरी रंग को भी शामिल कर सकते हैं। इससे गुरु का बल बढ़ता है। गुरु हमारे भाग्य को जगाने वाला गृह है। किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य में पीले रंग का इस्तेमाल किया जाता है। पूजा-पाठ में पीला रंग शुभ माना जाता है। केसरिया या पीला रंग सूर्यदेव, मंगल और बृहस्पति जैसे ग्रहों का भी प्रतिनिधित्व करता है। यह रोशनी को भी दर्शाता है। इस तरह पीला रंग बहुत कुछ कहता है।
वैज्ञानिकों के अनुसार पीला रंग के उपयोग से हमारे रक्त में लाल और श्वेत कणिकाओं का विकास होता है।
2. लाल रंग : लाल रंग के अंतर्गत केसरिया या भगवा का उपयोग भी कर सकते हैं। इसी में शामिल है अग्नि का रंग भी। शरीर में रक्त महत्वपूर्ण होता है। हिन्दू धर्म में विवाहित महिला लाल रंग की साड़ी और हरी चूड़ियां पहनती है। इसके अलावा विवाह के समय दूल्हा भी लाल या केसरी रंग की पगड़ी ही धारण करता है, जो उसके आने वाले जीवन की खुशहाली से जुड़ी है। लाल रंग उत्साह, सौभाग्य, उमंग, साहस और नवजीवन का प्रतीक है।
प्रकृति में लाल रंग या उसके ही रंग समूह के फूल अधिक पाए जाते हैं। मां लक्ष्मी को लाल रंग प्रिय है। मां लक्ष्मी लाल वस्त्र पहनती हैं और लाल रंग के कमल पर शोभायमान रहती हैं।
घर की दीवारों का रंग लाल नहीं होना चाहिए।
3. सफेद रंग : शुभ्र या सफेद आत्मा का रंग है जिसमें हल्का सा निलापन भी है। भारतीय योगियों का मत है कि आत्मा का रंग शुभ्र यानी पूर्ण सफेद होता है जबकि पाश्चात्य योगियों के अनुसार आत्मा बैंगनी रंग की होती है। कुछ ज्ञानीजन मानते हैं कि नीला रंग आज्ञा चक्र का एवं आत्मा का रंग है। नीले रंग के प्रकाश के रूप में आत्मा ही दिखाई पड़ती है और पीले रंग का प्रकाश आत्मा की उपस्थिति को सूचित करता है।
सफेद रंग माता सरस्वती का है। इसे राहु शांत रहता है। घर में सफेद रंग के उपयोग के भी कुछ वास्तु नियम जरूर समझ लेना चाहिए। प्राचीन काल में जब यज्ञ किया जाता था तो सफेद रंग का उपयोग ही किया जाता था। सफेद रंग से मन में शांति और सुख का आभास होता है। सफेद रंग से शुद्धता और पवित्रता का आभास भी होता है। पश्चिमी देशों में शादी के समय दुल्हन सफेद रंग का गाउन पहनती है जबकि भारती जैसे देश में जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है सभी सफेद रंग पहन के जाते हैं। जबकि इसके विपरित पश्चिम में किसी की मृत्यु पर लोग काला रंग पहनते हैं।
सफेद रंग को सब्जियों या फलों के माध्यम से अपनी डाइट में शामिल करने से कैंसर और ट्यूमर होने का खतरा कम होता है।
4. नीला रंग : संपूर्ण जगत में नीले रंग की अधिकता है। धरती पर 75 प्रतिशत फैले जल के कारण नीले रंग का प्रकाश ही फैला हुआ है तभी तो हमें आसमान नीला दिखाई देता है। जब व्यक्त ध्यान करने लगता है तो अंधेरे में कहीं नीला और फिर कहीं पीला रंग दिखाई देने लगता है। यदी आप गुलाबी रंग देखेंतो तो आपको उसमें लाल, सफेद और नीला रंग दिखाई देगा।
नीला रंग अध्यात्म और भाग्य से संबंध रखता है। इसके भी सोच समझ कर ही उपयोग करना चाहिए। खालिस नीला रंग उपयोग ना करें। नीले के साथ पीला, सफेद और हल्के लाल रंग का उपयोग कर सकते हैं किसी ज्योतिष से पूछकर। नीले रंग का सही समय पर और सही तरीके से उपयोग करेंगे तो यह जीवन में सफलता देगा।
एंथोसायनिन से भरपूर नीले या बैंगनी रंग कि फल और सब्जियां आपकी त्वचा को स्वस्थ और जवान बनाए रखने में मदद करता है। यह हृदय रोगों के लिए भी फायदेमंद होता है और कैंसर की संभावना का कम करने में सहायक है। इसके लिए आप जामुन, काले अंगूर, आलू बुखारा, ब्लैकबेरी, ब्लूबेरी, बैंगन और इस रंग की अन्य पत्तेदार सब्जियों को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। वैसे हमारी सलाह है कि नीले या बैंकनी रंग की सब्जियां सोच-समझकर ही खाएं।
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